Thursday 25 August 2011

उत्तर प्रदेश की जनसंख्या दर घटी


उत्तर प्रदेश की जनसंख्या दर घटी है, साथ ही गांवों से शहरों की ओर पलायन बढ़ा है। जनगणना के द्वितीय चरण के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। पिछले 10 सालों में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में तीन करोड़ 33 लाख 83 हजार 556 की वृद्धि हुई है। ग्रामीण आबादी में दो करोड़ 34 लाख 52 हजार 683 और नगरीय क्षेत्रों में 99 लाख 30 हजार 873 लोग बढ़े हैं। राज्य की कुल जनसंख्या का 77.72 प्रतिशत ग्रामीण तथा 22.28 प्रतिशत नगरीय है।
प्रदेश की जनगणना कार्य निदेशक नीना शर्मा ने बुधवार को केंद्रीय भवन में द्वितीय चरण [पेपर-2] के अनंतिम आंकड़े जारी कर ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की तस्वीर पेश की। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले दस सालों में जनसंख्या वृद्धि दर 5.76 प्रतिशत घटी है। 2001 में जहां यह 25.85 प्रतिशत थी, वहीं अब 20.09 रह गई है। यह कमी ग्रामीण क्षेत्रों में 6.25 प्रतिशत और नगरीय क्षेत्रों में 4.13 प्रतिशत दर्ज की गई है। इसके बावजूद देश में सबसे अधिक ग्रामीण जनसंख्या की भागीदारी उत्तर प्रदेश की [18.62 प्रतिशत] है। नगरीय आबादी में यह प्रदेश महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर है।
महाराष्ट्र में नगरीय आबादी 13.48 प्रतिशत, जबकि यूपी की 11.79 प्रतिशत है। ्रदेश के नगरीय और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की वृद्धि दर अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुषों की वृद्धि दर 17.19 और स्त्रियों की 18.50 प्रतिशत तथा नगरीय क्षेत्रों में क्रमश: 27.94 और 29.67 प्रतिशत है।
उन्होंने बताया कि यूपी की कुल आबादी 19 करोड़ 95 लाख 81 हजार 477 है। इनमें 15 करोड़, 51 लाख 11 हजार 22 लोग ग्रामीण क्षेत्रों में और चार करोड़ 44 लाख, 70 हजार 455 नगरीय क्षेत्रों में वास करते हैं। प्रदेश में 221 नगरों की संख्या बढ़ी है। 2001 में जहां 1342 नगरों में जनगणना कराई गई थी, वहीं 2011 में 1563 नगरों में कराई गई।
इसके अलावा जनगणना कार्य निदेशालय के पैमाने पर आने वाले 267 ग्रामीण क्षेत्रों को भी नगरीय आबादी माना गया। 2001 में ऐसे मात्र 66 क्षेत्रों को नगर मानकर गणना की गई थी। इसके अलावा एक लाख छह हजार 704 गांवों में गणना की गई। पिछले दस सालों में गांवों की संख्या में 748 की कमी आई है।
नीना शर्मा ने बताया कि जनगणना कार्य गत नौ फरवरी से 28 फरवरी के बीच कराया गया। इसकी जांच पहली से पांच मार्च के बीच की गई। आजादी के बाद यह यह देश की सातवीं जनगणना थी। इसके जिलेवार अनंतिम आंकड़े गत पांच अप्रैल को जारी किए जा चुके हैं।
-बढ़ा लिंगानुपात-
लखनऊ। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की घटती संख्या को लेकर चिंतित होने वाले जिलों के लिए आजमगढ़, देवरिया और जौनपुर आदर्श हो सकते हैं। प्रदेश में मात्र यही तीन जिले हैं, जहां महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इन तीनों ही जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है।
जनगणना के द्वितीय चरण के अनंतिम आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में लिंगानुपात में वृद्धि पाई गई है। 2001 में पुरुषों पर स्त्रियों का अनुपात 898 था, जो कि 2011 में बढ़कर 908 हो गया है। ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में लिंगानुपात बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या पिछले दस साल में 904 से बढ़कर 914 हो गई है। जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 876 से बढ़कर 888 हो गई है। प्रदेश में लिंगानुपात में दस की वृद्धि हुई है। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में दस और शहरी क्षेत्रों में 12 की वृद्धि हुई।
सूबे के लगभग सभी जिलों में ऐसी ही स्थिति है, सिर्फ जौनपुर, आजमगढ़ व देवरिया को छोड़कर। आजमगढ़ के प्रति हजार पुरुषों पर 1017 महिलाएं हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या 1024 जबकि शहरी क्षेत्रों में 941 है। इसी तरह देवरिया में यह संख्या 1013 है। यहां ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की संख्या 1023 और नगरीय क्षेत्रों में 922 है। जौनपुर में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1018 है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या 1027 और शहरी क्षेत्र में 918 है।
लिंगानुपात
[महिलाएं प्रति एक हजार पुरुषों पर]
2001 2011
898 908
ग्रामीण क्षेत्र
904 914
शहरी क्षेत्र
876 888।

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